पब्लिक मीडिया : दिलीप सेन
छतरपुर :जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में बुधवार को अचानक देर शाम समय लगभग 8 बजे बिजली का शॉर्ट सर्किट होने से डॉक्टर चेंबर में आग लग गई। घटना के समय वार्ड में 25 नवजात शिशु भर्ती थे। आग लगने से एयरकंडीशनर से निकले धुआं को देख ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर ने तुरंत मेन स्विच बंद करके बिजली सप्लाई को बंद कर दिया।
आपात कालीन गेट से दो मिनट में एसएनसीयू कक्ष से सभी बच्चों को बाहर निकाला !
अस्पताल के स्टाफ व नर्सों के कारण बचाई गई मासूम बच्चो की जान वार्ड से निकालने के बाद सभी बच्चों को बच्चा वार्ड के इंमरजेंसी चेंबर में रखा गया है। मरीजों के परिजनों की मदद से फायर ब्रिगेड पहुंचने से पहले ही कर्मचारियों ने आग पर भी काबू पा लिया था। अधिकारियों ने तत्काल ही वार्ड की मरम्मत के साथ सफाई कराई ओर 2नए एसी लगवाए व दो घंटे में फिर से वार्ड में बच्चों को शिफ्ट करा दिया !
सिविल सर्जन मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी सहित सभी पेडियाट्रिशन चिकित्सक ने सम्हाली स्तिथि कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मोके पर पहुँचे !
अस्पताल की स्थिति क्या हे ,पढ़ें
1- जमीन पर लेटे रहते मरीज, घर से लाते कपड़े बिछाने को।
2- रो-रो कर राम भरोसे चलते महिला वार्ड,बच्चा वार्ड,ट्रोमा वार्ड के पँखे ।
3- नही लगे प्रयाप्त मात्रा में पानी पीने के लिए वाटर कूलर
4- पार्किंग नही है पर पार्किंग के नाम पर चल रही बसूले,प्रशासन के आंखों के सामने गुण्डा राज।
5- पार्किंग की ड्यूटी में लगे कर्मचारियों का नही है पुलिस verification, न ही कोई ड्रेस,न कोई बैच, न दिबालो पर रेट व शर्तों की सूची फिर भी चल रही वसूली।
6- मरीज का दिखवाई शुल्क 5 रु, पर पार्किंग शुल्क 10 रु उस रसीद पर कोई भी शर्ते या गारंटी नही की यदि आपका बाहन चोरी होगा तो क्या किया जाएगा।
7- *जिला अस्पताल में है कमी*-डॉक्टरों, एक्सपर्ट नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय की, वार्ड बॉय की कमी के कारण परिजनों को मजबूरन स्वम स्ट्रेचर पर लेकर जाना पड़ता है मरीजो को।
8- स्वच्छ और साफ वाथरूम की नही है व्यवस्था।
9- प्राइवेट एम्बोलान्स संचलको की मनमानी से चलती है बसूली और जिला प्रशासन मौन।
10- नही है पूरे हॉस्पिटल में फायर सिलेंडर की उत्तम व्यवस्था।
11- घरो पर खुले है डॉक्टरों के क्लीनिक घरो में ज्यादा समय, जिला अस्पताल में कम समय देते और कमाई दोनों जगह।
12- कुत्ते के काटने पर मिलने बाली दबा भी बाहर से लाना पड़ता और यदि सेटिंग हो तो पैसे में मिल जाते इंजेक्शन और दबा भी।
13- प्लास्टर रूम में स्टाफ की कमी के कारण रात्रि में बंद रहता प्लास्टर रूम।
14- एक्सरे के रूम में 24 घण्टे नही मिल पाती मरीजो को सुविधा, बाहर से कराना पड़ता एक्सरे।
15- एमरजेंसी में टाके लगाने बाला भी नही मिलता धगा !